शमशान में उजाला
शमशान में उजाला
मुर्दे फूंके जाते हैं ...
बांध के गन्दी थैली में ...
पाँच लाख की भीड़ जमा है ...
मतदान की रैली में ..
प्राण वायु की किल्लत है ..
अस्पताल में जिल्लत है ...
होकर चूर घमंड में
सत्ता वाले ऐंठे हैं ..
दाढ़ी वाले बाबा कहाँ
मुँह छुपा के बैठे हैं ...
शब्दों से गर पेट भरता ..
मन की बात हर कोई करता ...
देश तुमसे पूछ रहा है ..
पीएम केयर का पैसा कहाँ हैं ..
त्राहि त्राहि मची हुयी है ..
वक़्त बड़ा ही काला है ..
शांत खड़े हैं हुक़्मरान ..
शमशान में पसरा उजाला है।
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