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chandraprabha kumar

Classics

4  

chandraprabha kumar

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शिव जी की बारात

शिव जी की बारात

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गिरिजा को ब्याह लाने के लिये, 

भोले भंडारी शिव की चली है बारात

गौरी को ब्याहने आये 

हमारी गौरी को लेने आये

दमादम बाजें ढोल नगाड़े 

बालक सब दौड़ते आयें 

पर बारात देखकर घबरायें 

यह बारात हैं या जम की धार है। 


बालक सब अपने प्राण लेकर भागे

घर आने पर माता- पिता पूछते हैं

तो बच्चे भय से कॉंपते हुए बताते हैं

दूल्हा पागल है, बैल पर सवार है

सॉंप, कपाल और राख उसके आभूषण हैं

वह नग्न जटाधारी और भयंकर है।


उसके साथ भयानक मुख वाले

भूत,प्रेत, पिशाच, योगिनियॉं, राक्षस हैं,

जो बारात देखकर जीता बचेगा 

उसके सचमुच बड़े भाग पुण्य हैं,

वही पार्वती का विवाह देखेगा,

घर घर में बच्चों ने यही बात कही। 


बड़े लोग समझ गये 

शिव जी का समाज है,

बालकों को समझाते हैं

डर की कोई बात नहीं,

निडर हो जाओ, भोले भंडारी हैं

शिव जी की बारात आई है ।


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