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Devendraa Kumar mishra

Classics

4  

Devendraa Kumar mishra

Classics

प्यार में होते हो

प्यार में होते हो

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जब तुम किसी के प्यार में होते हो 

तो दुनियां से जुदा होते हो 

तुममें जागती है सजने, संवरने की इच्छा

आईने में खुद को देखते रहने का मन 

न चाहते हुए भी गीत निकलने लगते हैं 


तुम देखते हो खुद को और समझते हो खुदा की तरह 

तुम्हारा रहन सहन, जीवन सब कुछ बदल जाता है 

बढ़ती धड़कन, साजन की याद, हर घड़ी हर आहट पर साँस अटकती है 

सब कुछ अच्छा लगने लगता है. 


तुम्हारा प्रेम में होना जरूरी है, जीवन के लिए, संसार के लिए. 

प्रेम में होकर ही व्यक्ति अहिंसक हो सकता है 

दया, करुणा से स्वयं को भर सकता है 

मैं चाहता हूं कि व्यक्ति प्रेम में रहे 

नीरसता से दूर रस में भीगा रहे 


और दुनियां में अमन के लिए जरूरी है कि प्रेम में रहे व्यक्ति।


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