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usha shukla

Classics

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होली खेलैं कृष्ण मुरारी

होली खेलैं कृष्ण मुरारी

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होली खेलैं कृष्ण मुरारी,

 भक्ति का अबीर, श्रद्धा का गुलाल,

प्रेम भरी पिचकारी।


 होली खेलैं कृष्ण मुरारी।

गोपी ग्वाल संग रास रचावै,

 राधिका की भीगी सारी,

 होली खेले कृष्ण मुरारी।


मोहनी मूरत, सांवली सूरत,

 नैना बड़े कजरारे।

हाथ मुरलिया, कमर कमलिया,

 पैर पायलिया धारी।


होली खेले कृष्ण मुरारी।

 गीता को ज्ञान सिखावत अर्जुन को,

 तंदुल सुदामा के खाए,

द्रोपदी की लाज बचाने

भागे बिन पादुका त्रिपुरारी।

होली खेलैं कृष्ण मुरारी।।


देवकी को लाल, यशोदा का नंदन,

 जग का तारणहार,

 अपनी कृपा प्रभु हम पर कीजिए,

 विनती करे नर नारी।

होली खेले कृष्ण मुरारी।।


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