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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

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V. Aaradhyaa

Classics Inspirational

शिवलिंग में हुआ प्रवेश

शिवलिंग में हुआ प्रवेश

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जटाधर भोले शिवशंकर को मेरा प्रणाम,

भस्म लगाए धूणी रमाए रहते आठोयाम !

जिनके सिर से निकले पवित्र पावन गंगा,

निः संकोच पी गये शिवजी विष का जाम !


गले में विषधर सर्प की माला पहनकर ,

अपना आसन बना बैठे वृहद छाल बाघंबर !

एक कर में डमरु त्रिशूल थाम रखे दूसरे कर,

नटराज़ का विशाल रूप भाए मोहे मेरे शंकर !


महाशिवरात्रि का शुभ दिन सबके लिए विशेष,

वैराग्य जीवन छोड़ भोले का गृहस्थ में प्रवेश !

फाल्गुन की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि है ख़ास,

शिवलिंग के स्वरूप में प्रथम प्रकट हुए महेश ! 


शिवरात्रि के दिन महिलाएं मन से व्रत रखती,

महाशिव के "ओम नमः शिवाय" मन्त्र जपती !

बेलपत्र पुष्प चन्दन से शिव का पूजन करती ,

आक भांग धतुरे का फल शिवजी‌ को चढ़ाती !


इसी दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया,

योगविज्ञान की उत्पत्ति शिवरात्रि बनाया गया !

पार्वती के साथ पावन परिणय मनाया गया,

शंकर के संरक्षक रूप को जग में जाना गया !


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