शिवलिंग में हुआ प्रवेश
शिवलिंग में हुआ प्रवेश
जटाधर भोले शिवशंकर को मेरा प्रणाम,
भस्म लगाए धूणी रमाए रहते आठोयाम !
जिनके सिर से निकले पवित्र पावन गंगा,
निः संकोच पी गये शिवजी विष का जाम !
गले में विषधर सर्प की माला पहनकर ,
अपना आसन बना बैठे वृहद छाल बाघंबर !
एक कर में डमरु त्रिशूल थाम रखे दूसरे कर,
नटराज़ का विशाल रूप भाए मोहे मेरे शंकर !
महाशिवरात्रि का शुभ दिन सबके लिए विशेष,
वैराग्य जीवन छोड़ भोले का गृहस्थ में प्रवेश !
फाल्गुन की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि है ख़ास,
शिवलिंग के स्वरूप में प्रथम प्रकट हुए महेश !
शिवरात्रि के दिन महिलाएं मन से व्रत रखती,
महाशिव के "ओम नमः शिवाय" मन्त्र जपती !
बेलपत्र पुष्प चन्दन से शिव का पूजन करती ,
आक भांग धतुरे का फल शिवजी को चढ़ाती !
इसी दिन भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया,
योगविज्ञान की उत्पत्ति शिवरात्रि बनाया गया !
पार्वती के साथ पावन परिणय मनाया गया,
शंकर के संरक्षक रूप को जग में जाना गया !
