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Awadhesh Saxena

Classics

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Awadhesh Saxena

Classics

मैं नशे में हूं

मैं नशे में हूं

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अभी इस वक्त मुझ से दूर रहना मैं नशे मैं हूं।

किसी को भी कहीं कुछ भी सुनाता मैं नशे में हूं।


निकलती गालियां मुंह से फिसल जाती जुबां मेरी,

अभी मुझसे नहीं तुम बात करना मैं नशे मैं हूं।


कभी उठते कभी गिरते कभी रुकते कदम मेरे,

सड़क पर चल रहा हूं लड़खड़ाता मैं नशे में हूं।


मिला था कौन मुझसे कब नहीं कुछ याद अब मुझको,

अभी खुद को नहीं पहचान पाता मैं नशे में हूं।


अगर तू एक है तो फिर तेरा चेहरा तेरा मोहरा,

मुझे क्यों दो नजर आते बता क्या मैं नशे में हूं।


तेरी आंखों के प्यालों से छलकती मय जरा पी ली,

नशे में हूं नहीं फिर भी लगेगा मैं नशे में हूं।


खुदा से बात करके जब चला ’अवधेश’ मस्ती में,

नहीं बेहोश पर समझे जमाना मैं नशे में हूं।


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