Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Awadhesh Saxena

Inspirational

4.5  

Awadhesh Saxena

Inspirational

गीता के संदेश

गीता के संदेश

2 mins
399



अध्याय 1 - 

सोच ही हो यदि गलत तो, है समस्या जिंदगी ।

बुद्धि बल उपयोग हो तो, है तपस्या जिंदगी ।

अध्याय 2 - 

ज्ञान है तो हर समस्या, हल अभी हो जाएगी ।

युद्ध की ये जीत ही तो, शांति सुख ले आएगी ।

अध्याय 3 - 

मार्ग समृद्धि का है, स्वार्थ निज को त्यागना ।

पर हितों के कर्म में ही, धर्म को पहचानना ।

अध्याय 4 - 

कर्म प्रभु को हों समर्पित, है यही बस प्रार्थना ।

मन नहीं पनपे जरा भी, कर्म फल की चाहना ।

अध्याय 5-

मन अहंकारी नहीं हो, चल अनंतानंद ले ।

भक्ति मय वातावरण में, नाम हरि सानंद ले ।

अध्याय 6 –

नित्य जुड़ कर चेतना से, शक्ति संचय साधना ।

शत्रु कोई सामने हो, बेहिचक हो मारना ।

अध्याय 7 -

सीख जीवन में मिली जो, ला उसे उपयोग में ।

व्यर्थ ही मत काट जीवन, रोग में या भोग में ।

अध्याय 8 - 

आत्म बल मजबूत रख कर, आप अपना छोड़ मत ।

एक ईश्वर मान ले बस, मोह माया जोड़ मत ।

अध्याय 9 -

जो मिला आशीष प्रभु से, भूल मत जाना कभी ।

नाम जप प्रभु पाद महिमा, गीत भी गाना कभी ।

अध्याय 10 - 

दस दिशाओं में प्रकृति के, हर सृजन में हरि रहें ।

रूप ईश्वर देख सब में, कृष्ण अर्जुन से कहें ।

अध्याय 11 - 

सत्य तो होता नहीं है, कुछ अधिक या कम कभी । 

जानना हो सत्य को तो, कर्म अर्पित कर सभी ।

अध्याय 12 - 

उच्च से भी उच्चतर जो, लीन मन उसमें रहे ।

कर्म योगी ज्ञान योगी, भक्ति योगी भी कहे ।

अध्याय 13 - 

मोह माया छोड़ मानव, जोड़ मन भगवान से ।

मोक्ष की हो कामना बस, कर्म कर हर ध्यान से ।

अध्याय 14 - 

दृष्टि इतनी साफ जिसका, जिंदगी से मेल हो ।

प्रश्न कितने भी जटिल हों, हल बताना खेल हो ।

अध्याय 15 - 

प्राथमिकता जिंदगी में, देव दर्शन की रहे ।

वास हो अपना जहां पर, ज्ञान की गंगा बहे ।

अध्याय 16 - 

मानता हो जानता हो, जग बुरा या फिर भला ।

कर्म अच्छे ही करे पर, स्वर्ण सत सांचे ढला ।

अध्याय 17 - 

शक्ति शाली है वही जो, धारता अधिकार है ।

चुन सके सुख शांति मन की, आत्म बल से प्यार है ।

अध्याय 18 -

अंत में बस मोक्ष की ही, ईश से है कामना ।

विश्व गुरु ब्रह्मांड स्वामी, कृष्ण की है वंदना ।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational