STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Drama Inspirational

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Drama Inspirational

शील छंद

शील छंद

1 min
198

स्वर बॉंटत प्रेम प्रभाकर

करुणा कर हे करुणाकर

   स्वर बॉंटत....


सबके हित का कर चिंतन

हिय में प्रिय सा सम सिंचन

दुख हों जब देखत क्रंदन

तब मानव का करुॅं वंदन

विधना विधि लेख विधाकर..

     स्वर बॉंटत....


समता सब लोग करें जब

ममता रुप मात धरें अब

सत कर्म सदा कर मानव

बिन मानवता अब दानव

हरषे अकुले कुसुमाकर

      स्वर बॉंटत....


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama