शब्दों के अनमोल मोती
शब्दों के अनमोल मोती
जीवन क्या है?
कब तक है?
इसका ठहराव कहाँ है?
क्षण क्षण
सारा का सारा, चूक जाता
इंसान यहाँ है।।।
फेरबदल बहुत जरूरी है,
लेकिन कुछ चीजें ना ही बदली जाएं,
तो ही बेहतर है।।
उम्र बढ़ गयी है,
उम्र बढ़ रही है...
ये तो बस कहना है,
असल में तो तज़ुर्बे बढ़ रहें।।
समय कहाँ बदल रहा?
यहाँ तो इंसान बदल रहे हैं।।
होली है, कितने ही रंग हैं?
कौन से खेलूँ,
अरे आज होली है, पर मैंने तो हर दिन
कइयों को रंग बदलते देखा है,
पराये ही नहीं, अपनो को भी ऐसा करते देखा है।।।
कौन कहता है ,गिरगिट ही रंग बदलता है,
अरे यहां तो इंसान रँग बदलता है।।
मेरी ये कलम ही है,
जो रंग नहीं बदलती...मेरी सच्ची साथी।।