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Lokanath Rath

Tragedy Action

4  

Lokanath Rath

Tragedy Action

वफ़ा........

वफ़ा........

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जी रहा हूँ अब सिर्फ जीने के लिए,

वरना जीना तो हम कबसे छोड़ दिए।


जब देखूँ बीते हुए कल को,

वो हसीन शाम वो सुनहरा पल को।


हमारी रोज रोज के वो मुलाकातें,

तुम्हारी ओठों कि हंसीं और मीठी मीठी बातें।


तुम्हारी जुल्फों की बिखरते हुए नखरे,

और झुकी हुई तुम्हारी आँखों की इशारे।


तुम्हारी आने से खुशियाँ छा जाते थे,

हम तुम्हारी चले जाने से उदास होते थे।


प्यार की वो सिलसिले चलते रहा,

फिर अचानक न जाने वो कैसे टूट गया।


पता तो नहीं था हमें कुछ,

अब रोते है हम जानकर सब कुछ।


अच्छा किया तुम बेवफा हों गये,

हमें एक अच्छी सीख जिन्दगी के तो दिए।


लोग कहते है प्यार अंधा होता,

सच में शायद तुम्हें ये नहीं है पता।


हम अंधे थे देख नहीं पाए,

सच झूठ को कभी समझ नहीं पाए।


मिला था जो प्यार कभी हमें,

खोकर उसे अब बिता रहे है लम्हे।


बेवफा तुम थे हम समझ ना पाए,

हम तो प्यार में वफ़ा करते रहे।


वफ़ा करके सोचूँ क्या क्या पाए?

गम की आंसुओं के साथ दिल टूट गये।


क्या तुम्हें मिला वो तुम जानो,

वफ़ा करके खोया हम सुख चैन मानो।


आज भी हम मांगते है दुआ,

हमारे वफ़ा के बदले मिले तुम्हें खुशियाँ।



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