रिश्ते बनाएं-उन्हें हम निभाएं
रिश्ते बनाएं-उन्हें हम निभाएं
रिश्ते जगत में भले ही कम बनाएं,
मगर जो बनाएं उन्हें फिर निभाएं।
जीवन में सुख-दुख सभी के हैं आते,
हर हाल रिश्ते हैं तब हमें याद आते।
इन्हीं पलों की खातिर ही होते हैं नाते,
याद रख मधुरता सारी कटुता भुलाते।
घटते हैं ये गम और बढ़तीं हैं खुशियां,
अपनों के संग जब हम बांटें और बंटाएं।
रिश्ते जगत में भले ही कम बनाएं,
मगर जो बनाएं उन्हें फिर निभाएं।
है बदलता जगत तेज ठहरता नहीं,
आतीं जातीं विकृतियों से बचता नहीं।
बदल दीजिए उचित जो है जंचता नहीं,
स्वीकारिए जो बदलने की क्षमता नहीं।
सुख हो या दुख हो सदा कुछ न रहेगा,
दुख में काम आए उसे कभी न भुलाएं।
रिश्ते जगत में भले ही कम बनाएं,
मगर जो बनाएं उन्हें फिर निभाएं।
खुशियां बढ़ाने से हो समय ने जो रोका,
मगर गम बंटाने का कभी चूकें न मौका।
खुशी का हो मौसम तो भर जाती नौका,
जीवन में गम है अपने परखने का मौका।
सुखी हों तो खुशियों में जुटे भीड़ भारी,
ग़म में सच्चे हितैषी ही बस हैं काम आएं।
रिश्ते जगत में भले ही कम बनाएं,
मगर जो बनाएं उन्हें फिर निभाएं।