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Siddhi Diwakar Bajpai

Classics

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Siddhi Diwakar Bajpai

Classics

शायद

शायद

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कही खोया हुआ है वो पल शायद

वक्त गया है पूरा बदल शायद

न कर पाऊँगी अब मैं पहल शायद

कोई अकेला हुआ आजकल शायद


बीज बोये थे मैंने बबूल के जब

 फिर उम्मीद क्यों, निकलेंगे फल शायद

हर चीज़ का ईलाज है दुनिया में

पर नशे का है ना कोई हल शायद


अंजाम से इत्तेफाक तो बेशक है

पर होता न उनसे अमल शायद

मेरी राख को जब भी कुरोदोगे तुम

याद आएँगे गुज़रे वो पल शायद।


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