STORYMIRROR

Siddhi Diwakar Bajpai

Inspirational

4  

Siddhi Diwakar Bajpai

Inspirational

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

1 min
321


हो चाहे तुलसी, सूरदास या कबीर रसखान हो

मैं सबमें जिंदा थी और हूँ, सबसे ही मेरा मान हो।


भारतेंदु हो या नगेंद्र हो, सब पर कलम चलाईं हूँ

सारी भाषा एक तरफ, मैं कर्म भूमि की माई हूँ।


कृष्णा या शिव प्रसाद रहें, पल-पल का मैं बखान करूँ

जो डटे रहें हैं सरहद पर, उन सबका मैं सम्मान करूँ।


माँ बोला जो सबसे पहले, उसकी मैं परिभाषा हूँ

पिता की आँखें जो पढ़ लें, ऐसी मैं एक भाषा हूँ।


जानो-पहचानो खुद को अब, अस्तित्व तुम्हारा अपना है

कभी ना मरना मन से तुम, जीवन का ये सपना है।


मैं जिंदा थी, मैं जिंदा हूँ, और रहूँ सदा अभिलाषा है

मैं हिंदी थी, मैं हिंदी हूँ, मेरी खुद में एक परिभाषा है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational