मलीन व्यक्तित्व
मलीन व्यक्तित्व
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कुछ भोले बन मुस्काते हैं
और किस्से बड़े सुनाते हैं
समझ नहीं है रत्ती भर
ये मूर्ख हमें समझाते हैं।
सीधे सादे बनकर देखो
छल-कपटी मैल लगाते हैं
शब्दों से है संबंध शून्य
पर जाहिल हमें पढ़ाते हैं ।
लूट घसीट मिले जो माल
भगवन चरण चढ़ाते हैं ।
आस भरें ये अखियन में
और नाटक बहोत दिखाते हैं।
व्यर्थ की बातें बोल-बोल
ये माथा बहुत दुखाते हैं
चिकनी चुपड़ी बातें करके
ये सबको बहुत लुभाते हैं।
सज्जन को मूरख बोले
दुर्जन पर जोर लगाते हैं
समय की मार पड़ेगी जब
तब अपने मुंह की खाते हैं।
