क्या ये मेरे अपने हैं
क्या ये मेरे अपने हैं
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रास्ता नहीं मिले तुमको, मेरे ऊपर से बढ़ जाना
भूखे हुए कभी जो तुम, मेरी रोटी भी तुम खाना
पानी मुझसे लेकर के, तुम अपनी प्यास बुझाना
जब-जब डरो भीड़ से तुम, तब आगे मुझे बढ़ाना
छीन के सब मेरा मुझसे, तुम अपने घर को सजाना
जो हाथ से तुमसे ना संभले, मुझको आवाज़ लगाना
बस मुँह पर बोलो सच अपना, ना झूठे ख्वाब दिखाना
इतना करना बस सोच समझ, की पड़े ना फिर पछताना।
