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Husan Ara

Romance

3  

Husan Ara

Romance

शायद

शायद

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201


किसी के साथ का असर ,

साफ नज़र आने लगा था।


कभी पसंद बदलती कभी आदत,

मैं भी खुद से घबराने लगा था।


उसी के ख्वाब उसी की ख्वाहिश,

क्यों वो इस कदर मुझपे छाने लगा था।


दिल मेरा था, मगर मेरे बस में ना था,

दिल अपनी उंगलियों पर नचाने लगा था।


शायद वही हुआ था मुझको, हाँ वही,

तभी तो बिन बात ,मुस्कुराने लगा था।



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