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Alka Soni

Romance

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Alka Soni

Romance

सच्चा रंग प्रीत का

सच्चा रंग प्रीत का

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कंगन सजे 

मेहंदी भरे हाथ।

रंग नहीं ये

केवल मेहंदी का।


यह तो रंग,

बस तेरे प्रेम का।

तुमसे मिल,

भाव नए से कुछ

मन में जागे।


बंध जाएंगे अब

ये नेह के धागे।

यह बन्धन तो है

सात जन्म का फेरा।


पवित्र संग 

प्रीत का जो मैं पाऊं।

बस तेरी ही

अब से कहलाऊँ।


कितना सच्चा,

रंग प्रीत का होता।

जिसको कोई

तोड़ नहीं है पाता।


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