सच्चा दोस्त
सच्चा दोस्त
किताबों सा साथी पाओगे नहीं दूजा
सब साथ छोड़ दें तब भी साथ देतीं है पूरा
दोस्त होते हैं अक्सर मतलब के
देते हैं साथ जब जब तक स्वार्थ हो पूरा
अकेले जब पाओगे कभी खुद को
किताबों सा साथी पाओगे न दूजा
इनमें छुपी कहानियां, मन बहलाती हैं
निराशा में आशा की किरण दिखाती हैं
जीवन में नया उत्साह जगाती हैं
अकेलेपन को जल्दी भर जाती हैं
किताबें हैं गर साथ फिर मायूस क्यों होना
किताबों सा साथी पाओगे न दूजा।