STORYMIRROR

Mrinal Mund

Abstract

4  

Mrinal Mund

Abstract

प्रकृति की प्रभूति

प्रकृति की प्रभूति

1 min
306


देखो जरा उन पेड़ों को 

जो देते है हमे फल 

छाँव देने वाले वह जीव 

खड़े रहते है दिन भर


सुनो जरा उन पक्षियों को 

चहचहाते है जो दिन भर

मधुर संगीत गाने के पश्चात भी 

कर देते हम उन्हें पिंजरे में बंद 


चखो जरा उन खट्टे बेरो को 

जो कुदरत से है आई 

दिल हल्का कर लेने को 

अनेक स्वाद है लाई 


महसूस करो उस झरने को 

जो निर्मल जल है लाई 

झर- झर बहते हुए नदी से 

मिट्टी को उठा लाई ।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract