जंगल
जंगल
प्रश्न अनगिनत उठ रहें हैं
इक इक कर जंगल जा रहे हैं
सुना करते थे स्वार्थ अंधा होता है
सोचते थे कहानी में ऐसा होता है
पर असल में मानव ने कब
इस ओर कदम बढ़ाया
धीरे-धीरे प्रगति की अंधाधुंध दौड़ में
जंगल कटते जा हैं, क्योंकि
मानव खुद जंगल हो रहा है
घने जंगलों की जगह अब कंक्रीट के
ऊंची इमारतें खड़ी हो रहीं हैं
हो सके तो पेड़ों को कटने से रोको
आदमी को जंगल होने से।