ज़िद्द
ज़िद्द
सीने में आग और रगों में तूफ़ान लाया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
हारने के डर से मैं नहीं रुकूंगा
आँधियों के आगे मैं नहीं झुकूंगा
पर्वतों का सीना भी आज मैं फाड़ लाया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
रोकेंगी क्या मुझे आज ज़ंजीरें
बदलनी है मुझे खुद अपनी तकदीरें
जंगल में शेर की तरह मैं दहाड़ आया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
दिल में कितने अरमान मेरे दफन थे
जो समाज की नीतियों के कफ़न थे
आज समाज की हर रस्म मैं उखाड़ लाया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
अब हर एक चुनौती से मैं टकराऊँगा
कुछ भी हो हाल अब मैं लड़ जाऊंगा
इरादों में मैं हौसलों की बाढ़ लाया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
सीने में आग और रगों में तूफ़ान लाया
आज ज़िद्द है आसमान छू जाऊंगा
आज ज़िद्द है हर काम कर जाऊंगा
खुद पे भरोसा, आत्मविश्वास जगा लाया
आज जब जीतने की ज़िद्द मैं ठान लाया
सीने में आग और रगों में तूफ़ान लाया