दीदार ए यार
दीदार ए यार
अब दो छोड़ मुझे है जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल हाँ मैंने माना दीदार ए यार के लिए
पुकारा उसने कि आज, है मिलान की रात
क्यों रोक रही मुझे जाने से, ये सारी कायनात
मिलने की चाह में मर जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल मैंने माना दीदार ए यार के लिए
बेड़ी बन पायल अपना, क्यों शिकंजा कसे
बन नागिन ये रात काली, क्यों मुझको डसे
बन सोहनी तर जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल मैंने माना दीदार ए यार के लिए
मुझे तनहाई की आग में कोई झोक नहीं सकता
मिलन हमारे प्यार का कोई रोक नहीं सकता
प्यार के रंग में रंग जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल मैंने माना दीदार ए यार के लिए
चमक रही बिजली है संकेत सावन के
सिमट जाऊँ बाँहों में मैं अपने साजन के
दे जीत उसे सब हर जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल मैंने माना दीदार ए यार के लिए
मिल के मैं अपने गुल से गुलज़ार हो गई
प्यार के इस सागर में मैं पार हो गई
प्रीत का दामन भर जाना दीदार ए यार के लिए
हुई पागल मैंने माना दीदार ए यार के लिए।।