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Rashminder Dilawari

Abstract Inspirational

4.2  

Rashminder Dilawari

Abstract Inspirational

भाई बिधि चंद

भाई बिधि चंद

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हुई एक कहानी शुरू

जब थे सिखों के छठे गुरु

वो समय कुछ और था

जब गुरु हरगोबिंद का दौर था 

एक दिन लोग आये उनके पास

कहते लूटे मुग़लों ने दो घोड़े ख़ास

बहुत ऊंचे थे जिनके दाम

दिलबाग गुलबाग अश्वों नाम

कठिन समस्या मुश्किल घड़ी

जाएगा कौन दुश्मन की गढ़ी

गुरु की फ़ौज में था एक बलवान 

भाई बिधि चंद जिनका नाम

सुन के गुरु का यह संदेश 

पहुंचा गड़ी वो बदल के वेश

कहता मैं हूँ एक अश्वपाल

जो रखता है अश्वों का ख्याल

खुश थे सब क्या ही थी बात

ले गए एक घोड़ा होते ही रात

भोर हुई सब हुए बेहाल

ना था एक घोड़ा और ना अश्वपाल

मुग़ल राजे ने कहा कुछ सोच के 

इनाम उसको जो लाएगा

उन्हें खोज के 

तभी फेर एक ज्योतिष आया

जिसने सारा वाक्या दोहराया

कर के दिखाई एक एक बात

जो कुछ भी घटा था पिछली रात

ज्योतिष ने फिर आगे बोला 

दूसरे घोड़े का रस्सा खोला

देख फेर नज़ारा वहां सब हैरान थे

ज्योतिष के रूप में बिधि चंद महान थे

दिखा रूप जब उनका सुनहरा

घेरा डाला जो दे रहे थे पहरा 

सैनिक जब थे हुए हावी

खड़े छत पे नीचे बहती रावी 

देख के सैनिक रह गए दंग 

लगाई छलांग घोड़े के संग

घटना थी ये एक बहुत ही ख़ास 

रचा उन्होंने एक नया इतिहास

थी कहानी यह हौसले बुलंद की

दो घोड़ों और भाई बिधि चंद की


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