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Rashminder Dilawari

Abstract

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Rashminder Dilawari

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असुर का राज

असुर का राज

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था दानव वह अमीरों का

रूप धार के उसने फकीरों का

तन पर चोला साज लिया

पहन फिर सर पर ताज लिया


एक असुर ने राज किया

उसकी थी शख्सियत महान

करता था हर गंदे काम

लेकर उसने भगवान का नाम


 लोगों को खुद संग बांध लिया

एक असुर ने राज किया

देकर फिर आश्वासन झूठा

बढ़ाकर कर जनता को लूटा

लूट लूट के सबको खाया

चोरों ठगों को आजाद किया


एक असुर ने राज किया

 चोर उचक्के थे उसके संग

 सबको उसने किया था तंग

जो भी हुआ उससे असहमत


 फिर उस पर निशाना साध लिया

एक असुर ने राज किया

 लोगों में छेड़ा ऐसा साज़

 सब कहे विकल्प नहीं हमारे पास


 करके धर्म का बंटवारा

 खुद कुर्सी से मोह बांध लिया

एक असुर ने राज किया।


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