Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Rashminder Dilawari

Abstract Fantasy

4.3  

Rashminder Dilawari

Abstract Fantasy

मायका

मायका

1 min
348


हुई भोर दिन रहा सुहाना 

आनंद का भी था नहीं ठिकाना

हज़ारों अरमान दिल में समाय के 

लेने खुशियाँ मैं पहुँची मायके 


यादें जुडी जहाँ बचपन की 

बातें थी अपने लड़कपन की

कितनी मीठी कटती थी रात

जब दादी सुनाती रानी की बात


चलती थी बेशक लेकर सोटी

तेल लगा कर करती मेरी चोटी

कुछ लड़कियां गुड़ियों संग खेलें

फेर लगते तीजों के मेले


सखियाँ सब थीं मेरी ख़ास

होती इकट्ठी पीपल के पास

भुलाये नहीं जा सकते भूले

सावन में पींघों के झूले


घुमाके वो खुशियों की चाबी 

किकली डालती ननद भाभी

बैठ के जब चरखा कातें

करती अपने ससुराल की बातें 


पूछती सखी तू है किस हाल में

मैंने कहा खुश हूँ ससुराल में

क्या खूब था नज़ारा पनघट का

पनहारिन नदी से भर्ती मटका


दिन थे वो बहुत हसीन

रातें भी थी खुश नसीब 

याद आते वो सब बहन भाई

सोते आँगन में डाल चारपाई


दिलकश था उन दिनों का ज़ायका

लेने खुशियाँ मैं पहुँची मायका।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract