प्रोत्साहन
प्रोत्साहन
है अग्नि बहुत इस हृदय में
लहू में उफान बाकी है।
लिए हौसलों में फौलाद को
रगों में तूफ़ान बाकी है।
आँखों में हैं ज़िद के शोले
मिटाने हार के निशान बाकी है।
पहुँच जायेंगे एक दिन शिखर पे
नभ पे बनानी मचान बाकी है।
छल्ली करदे तू सीना अपना
स्वेद में रक्त का मिलान बाकी है
नज़रें बनाले तू चील सी
अभी पंखों में उड़ान बाकी है
जीतनी है हर प्रतिस्पर्धा तूने
लड़ने कई घमासान बाकी है
जलने दे तू उमीदों की मशालें
करना नाम हरषान अभी बाकी है।