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मिली साहा

Abstract Inspirational

4.5  

मिली साहा

Abstract Inspirational

सच और झूठ

सच और झूठ

1 min
741


कहते हैं सच का कोई मुकाबला नहीं,

झूठ से होता कभी किसी का भला नहीं,


फिर भी झूठ का बढ़-चढ़कर होता स्वागत,

झूठ बोलने वाले बदलते नहीं अपनी फितरत,


कड़वा लगे सच सभी को, और मीठा लगे झूठ,

झूठी शख्सियत को रास ना आए सच की धूप,


बोलना हो जब सच मुंह पर पड़ जाते हैं ताले,

झूठ खुले आम प्यार से बोलते ये झूठे मतवाले,


सच की राह पे चलने वाले रह जाते खाली हाथ,

और दुनिया चल पड़ती पीछे, देने झूठ का साथ,


सच झूठ से ऊंचा, फिर भी सच का उड़ता मज़ाक,

सच की खामोशी को दबा रहा है झूठ की आवाज़,


दुनिया का हर इंसान कहता मुझे झूठ से नफ़रत है,

फिर समझ न आए झूठ की करता कौन वकालत है,


झूठ का वजन होता है भारी मझधार में डूब जाता है,

सच को कितना भी छुपा लो उजागर हो ही जाता है,


झूठ का कोई भविष्य नहीं परेशानी है इसका ठहराव,

सच बोलना कठिन है पर सच में है सुकून का बहाव,


स्वहित के लिए कभी भी झूठ की राह को ना अपनाना,

क्योंकि वक्त का तय है झूठ को एक दिन सामने लाना।



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