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Dhan Pati Singh Kushwaha

Inspirational Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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सबसे बड़ा डर

सबसे बड़ा डर

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202


हमें वीर ही हर कोई समझे, सब समझे हम है सदा निडर।

डरते है हम यह कोई न जाने, जान न ले बस यही है डर।


हम सब इस डर से रहते मृदुभाषी,

कहीं कोई न हो जाए हमसे नाराज।

अपनों की नाराजी का डर सबसे ज्यादा,

चाहे कल हो या फिर आज।

डाॅ॑टे जाएं या कूटे जाएं बिना डरे, कटु बोलते रहते है कुछ एक जांबाज।

सब कटुभाषी तो निडर रहें नित, निज निन्दा का है जिन्हें लेश न डर।

हमें वीर ही हर कोई समझे, सब समझे हम है.........


काम समय से करते है हम सब पूरे, कहीं कामचोर न हम समझे जाएं।

नहीं बिल्कुल बर्दाश्त हमें बदनामी, अपनी पूरी ताकत हम सदा लगाएं।

नाकारा तो तो निडर रहें नित, चाहे हर पल बेशक कितनी ही डॉ॑टें खाएं।

काम नहीं यह तो हो पाया इस कारण, पर कोई फॅ॑स जाए मेरी गलती पर।

हमें वीर ही हर कोई समझे सब समझें हम है..........


बद न डरें कभी बदनामी से, इन सबकी हिम्मत है अपरम्पार।

झूठ, कपट, छल और नित नये बहाने, इन सबका लम्बा व्यापार।

ईमानदारी से कोसों दूरी है इनकी, दुराचरण पर है सदा ही बहार।

कभी न है डर-है निडर वहाॅ॑ नित, जहॉ॑ ईमानदार तो जाते है डर।

हमें वीर ही हर कोई समझे, सब समझें हम है..........


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