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सब कुछ बदल कर भी

सब कुछ बदल कर भी

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सब कुछ बदल कर भी सब कुछ

वैसा ही है, कुछ भी तो नहीं बदला

हाँ, मैं हूँ कुछ बदली, ज़रा सा

वो भी है बदला


मगर दरम्याँ अब भी हमारे कुछ है

जो अब तक नहीं है बदला

सालों पहले देख कर पहली दफा

जो महसूस हुआ था आज भी वही है


मुद्दतों बाद जो मिले है उन एहसासों का

खेल अब भी नहीं बदला

हाँ, उम्र के इस पड़ाव पर उसकी

आँखें कुछ बदल सी गई है


कभी सूरज सी चमकती उन आँखों की

चमक थोड़ी कम सी हो गई है

मगर उसका हसरत भरी निगाहों से मुझे

देखने का अंदाज अब तलक नहीं बदला


हाँ, बदली तो मैं भी हूँ, मेरे बालों की सफेदी

मेरी बातों में भी आ गई है

कहाँ तो मैं पहले नदी की चंचल धारा सी

उसके साथ बह जाती थी


अब झील सा खामोश ठहराव मुझ मे है,

सब कुछ गया है बदल

बस उसे नज़र भर देख कर मेरी धड़कानों

का बढ़ जाना अब भी नहीं बदला

सब कुछ बदल कर भी सब कुछ

वैसा ही है,कुछ भी तो नहीं बदला ....



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