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Harish Pandey

Romance

4  

Harish Pandey

Romance

"बस इतनी गुज़ारिश है"

"बस इतनी गुज़ारिश है"

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इनायत हो तो इक़रार कर देना,

धड़कते दिल की बेचैनी को एक मुकाम मिलता है।

तुम्हारी हाँ को भी मैं कुछ झूठा समझता हूँ,

तुम्हारी न में भी जाने क्यों सुकून मिलता है।


शिकायत हो तो गुनहगार कह देना,

मेरी ग़लती को ग़लती का एहसास मिलता है।

दबाके आग अपने दिल मे अगर बैठोगे चुप फिर,

तो देखो ज़ख़्मी दिल क़यामत रोज़ कैसे लावा उगलता है।


इजाज़त हो तो दीदार दे देना,

मेरे ख्वाबों में आने वाले शख्स से तुम्हारा चेहरा मिलता है।

हू-ब-हू न भी निकली ग़र तुम तो क्या ये काफी नहीं,

कि मेरी नींदों को रोज़ मेहनताना तो मिलता है।


मुसीबत हो तो इनकार कर देना,

मेरी मोहब्बत की कश्ती को एक किनारा तो मिलता है।

मैं चल भी दूँ और तू हमसफ़र भी न हो,

ऐसी बंदिगी में ढूंढने से भी कहाँ ख़ुदा मिलता है।


मोहब्बत हो तो इज़हार कर देना,

दिल की दिल में रखकर भी कौन सा ब्याज मिलता है।

पूछने वाले को ही सही जवाब मालूम चलता है,

वरना ताउम्र ये 'काश' बहुत बुरी तरह खलता है।



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