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Harish Pandey

Abstract

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Harish Pandey

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तुम जो अभी नए नए पुराने हुए हो

तुम जो अभी नए नए पुराने हुए हो

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देखो, तुम जो अभी नए नए पुराने हुए हो,

लोगों की नज़रों में नए नए सयाने हुए हो।

वो जांचेंगे, परखेंगे,

आजमाएंगे तुम्हारी दिमागी हाज़िरजवाबी को,


उन तरीकों से, उन वजहों में, उन पैमानों पर,

जिनमें पहली मर्तबा वो खुद भी ठगे से ही खड़े थे,

कुछ यूँ भी एहसास हुआ उनको

कि बस उनके बोल ही बड़े थे।


वो शर्त लगाकर उखाड़ने चले थे जिस पत्थर को,

पता चला कि उसके इरादे चट्टान से भी ज्यादा कड़े थे।

पर अब बड़बोले होने की भूल तो वो कर चुके थे,

और कमाल, उसपर पत्थर की जीत भी कुबूल कर चुके थे।


लेकिन अपनी हार को वो हार नहीं बताते हैं,

खुद को वो और ज्यादा तजुर्बेकार सा जताते हैं,

फिर 'अपने ज़माने में उन्होंने और क्या क्या उखाड़ा है',

एक एक करके वो सब किस्से सुनाते हैं।

मुझे कोई शिकायत नहीं है उनके किस्सों से,

हालांकि वो ये सब हज़ार बार दोहराते हैं,


पर न जाने क्यों वो 'अपनी गलतियों को हासिल और

मेरी को बस ज़ाया' की नज़र से ही देख पाते हैं।

वो आज जहाँ भी हैं, उन्हें वहां पहुँचने में

क़रीबन एक-दो दशक तो लगे होंगे,


मैं यहाँ सिर्फ बिताई गयी उम्र ही गिन रहा हूँ,

हालाँकि गिनने को और भी कई आँकड़े हैं मेरे पास।

तजुर्बा भले ही कम हो मेरा उनके कमाऊ ज़हन से,

पर तहज़ीब और नज़रिया भरपूर है इस '

आजकल के छोकरे' के पास।


जैसा वो अक्सर मेरे लड़कपन को

नीचा दिखाने के लिए कहते हैं,

मुझे तो लगता है कि वो बेवजह ही

मुझसे नाराज़ रहते हैं।


और अगर मैं उनको ये बताने भी लगूँ तो

मुझे पता है कि वो पलटकर सिर्फ एक ही चीज़ कहेंगे,

"जुबान लड़ाना बखूबी जानते हो तुम,

कुछ और भी आता है या बस

बेवकूफी करना ही जानते हो तुम।"

पर ए दोस्त सुनो,

जब तुम इन गलियों से गुज़रो...


तो ऐसी बातें सुनकर, हताश मत होना

गुस्सा तो होना पर निराश मत होना।

अपने हिस्से की गलतियाँ भी करना,

अपने किस्से की खामियां भी कहना,

तभी तो तुम सीखोगे,


कि कब कहाँ क्या नहीं करना है ?

उड़ने के लिए गिरने से क्यों नहीं डरना है ?

वर्ना नोचने वाले तो नाखूनों तक को नोचेंगे,

पर तुम्हारी शख्सियत से मुतासिर हो ये भी सोचेंगे,

कि ये किस मिट्टी से बना है,

किस सृष्टि का जना है,


इसे कैसे रोकें, क्या कुछ बोलें,

पर तुम याद रखना,

जितने ज्यादा मुँह होंगे उनके,

उससे दुगने हाथ होंगे उन्हीं के,

तालियाँ बजाने को,

खुद का मुँह चुप कराने को,


जब तुम उन्हें अपनी काबिलियत दिखाओगे,

उनको गलत साबित ठहराओगे,

और उनको 'बड़बोला' कहलवाओगे,

जैसे उस पत्थर ने किया था,

जिसके इरादे चट्टान से भी ज्यादा कड़े थे,


जिसके आगे ये लाचार से खड़े थे।

याद रखना, वो पत्थर हो तुम।

पर ये भी याद रखना,

कि पत्थर दिल नही हो तुम।

इसलिए जब कभी किसी '


आजकल के छोकरे' को कामयाबी के लिए

जद्दोजहद करते देखना,

भले ही उसकी कोई मदद न करना,

पर उसके ख्वाबों की ज़मीन को कोई सरहद न देना।


चाहो तो उसे अपनी कामयाबी का रुबाब भी दिखाना,

पर उसकी कोशिशों को ज़ाया

कहकर उसे नीचा न दिखाना।

वैसे ये सब तो तुम खुद ही जानोगे,

हौले हौले, जैसे जैसे चढ़ोगे,

धुन बनके सबकी ज़ुबान पर।


ख़ैर, अभी तो तुम नए नए तराने हुए हो,

लोगों के ज़हन में नए नए पुराने हुए हो।


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