" खिल उठा संसार है "
" खिल उठा संसार है "
तुम मिले तो दिल खिला है ,
खिल उठा संसार है !!
देह कस्तूरी बसे जो ,
तोड़ती सब बंध है !
रूप ने सजकर बिखेरे ,
इंद्रधनुषी रंग हैं !
झूमती लगती बहारें ,
अधर पर मनुहार है !!
आज मौसम बावरा है ,
ऋतु लगे बौरा गई !
गंध बिखरी है सुहानी ,
याद जो गहरा गई !
सुरमई घिरती घटाएं ,
पावनी बौछार है !!
दिन ढला है , साँझ सँवरी ,
रात भी है श्यामली !
नैन कुछ बैचेन हैं तो ,
बात उनकी मान ली !
रात रानी है महकती ,
चाँद का सत्कार है !!
मौन हों पल , होंठ चुप से ,
मौन बस इजहार हो !
मौन ही , मन भा रहा बस ,
पलक पर आभार हो !
चुप कहाँ पायल निगोड़ी ,
कर रही झनकार है !