अंकुरित होती भावनाएं
अंकुरित होती भावनाएं
दिल की सोंधी माटी पर,
पड़ने लगी जब प्रेम फुहार ,
भावनाओं के--- फिर अंकुर फूटे
खिल गए फूल---- फिर सदाबहार,
प्रेम-- प्रसून खिले कुछ ऐसे---
तन---मन में छाई,
मस्त बहार,
भावनाएं हुई अंकुरित,
जज़्बात खिलने लगे---
रूह से रूह तक---
एहसास फिर बनने लगे
इन एहसासों की जमीं पर----
खुशी और गम की खाद मिलाकर,
नए-नए लफ्ज़ों के---- बीज डाले,
प्यार और जज्बात से सींच--सींच
रोज-रोज
दिल को बेकरार किया-----
सोच सोच-- दर्दे दिल बढ़ाया,
और
कुछ ही दिनों में,
नज्में अंकुरित होने लगी----
कुछ ही हफ्तों में----
लहराने लगी---- कविताएं कई
और
मेरे दिल की सरजमीं पर
उग आया------
कविताओं का बाग।