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Akhlaque Sahir

Romance

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Akhlaque Sahir

Romance

गले लगा है तबीयत बहाल का कह कर

गले लगा है तबीयत बहाल का कह कर

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तुम्हारे नाम पे कर लूँ गुज़ारा ठीक नहीं,

दुआ सलाम पे इतना ख़सारा ठीक नहीं,

तमाम शहर की आँखें हैं मुंतज़िर सो सुन,

बकाए जाम पे इतना नज़ारा ठीक नहीं,

वो सोगवार है रोके उसे कोई चल कर,

ये अश्क ए आम और मौसम बहारा ठीक नहीं,

किसी के इश्क़ में पहले से मुब्तिला हूँ मैं,

हमारे साथ तुम्हें वो गवारा ठीक नहीं,

गले लगा है तबीयत बहाल का कह कर,

मरज़ के आड़ में इतना सहारा ठीक नहीं,

बंटे हुए हैं यहाँ सारे लोग मस्लक में,

खुदा के नाम पे इतना इदारा ठीक नहीं।

 


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