घरों में बैठकर कुछ कारवाँ नहीं चलता। निकल ऐ तिफ़्ल नया इंकलाब आएगा ॥ #अखलाक साहिर
इश्क़ वबा है सर अपने आई है गर, दिन थोड़े कम बाकी हैं चल इश्क़ करें, इश्क़ वबा है सर अपने आई है गर, दिन थोड़े कम बाकी हैं चल इश्क़ करें,
जैसे तारों में कोई टूटना अपना देखे, जैसे तारों में कोई टूटना अपना देखे,
तुम्हारे नाम पे कर लूँ गुज़ारा ठीक नहीं, दुआ सलाम पे इतना ख़सारा ठीक नहीं। तुम्हारे नाम पे कर लूँ गुज़ारा ठीक नहीं, दुआ सलाम पे इतना ख़सारा ठीक नहीं।
नमनाक अपनी आँख भी होने लगी सो हम, कुछ देर अपने आप में बिल्कुल नहीं लगा ! नमनाक अपनी आँख भी होने लगी सो हम, कुछ देर अपने आप में बिल्कुल नहीं लगा !
दो दिन गुज़रे खूब तरक्की की हमने, दो दिन अपने बाकी हैं चल इश्क़ करें, दो दिन गुज़रे खूब तरक्की की हमने, दो दिन अपने बाकी हैं चल इश्क़ करें,
हमारा जब्त आजमाते हुए गया है कोई मुस्कुराते हुए! हमारा जब्त आजमाते हुए गया है कोई मुस्कुराते हुए!
नई नस्लों की खातिर यार मैंने कई मौसम के गंदम दे चला हूँ! नई नस्लों की खातिर यार मैंने कई मौसम के गंदम दे चला हूँ!
शबे ख़्वाब को तआबीर में लाते हुए लोग. कितने बेबस हैं अखबार में आते हुए लोग. शबे ख़्वाब को तआबीर में लाते हुए लोग. कितने बेबस हैं अखबार में आते हुए लोग.
और फिर जख्मी हुए हाथ बढ़ाते हुए लोग। और फिर जख्मी हुए हाथ बढ़ाते हुए लोग।
तपिश को अब्र अब्र कर सियासतों की भेंट चढ़ तपिश को अब्र अब्र कर सियासतों की भेंट चढ़