वोदका की अमृत वर्षा
वोदका की अमृत वर्षा
कानन वन में आज़ चारों ओर मस्ती का माहौल हर
कामुक दिल मादकता की उमंग लिए
था बेचैन इस सुबह की इंतजार में
हवा भी बेकरार हो कर इधर उधर भटक रही थी
पत्तियाँ भी आँखों में मदहोशी लिए सर-सर कर रही थी
गुलाब और लिली भी अपनी नशीली अदाओं से
सबका मन मोह रही थी
ऊँची बर्फीली चोटियाँ भी मानो
अजीब-सी अकुलाहट से तड़प रही थी
मनचले भंवरे भी मस्ती में गुनगुना रहे थे
रंगबिरंगी तितलियाँ झूम रही मस्ती में
जाने क्यों आज जंगल में हर कोई था व्याकुल
हर कोने में एक अजीब-सी अनजानी हलचल
दमकते सूरज की किरणें भी सुबह से अधीर थी
जंगल में हर तरफ़ मदहोशी का माहौल
आज हर कोई इस पागलपन में खो जाने को बेताब था
ऐसा लगता जैसे किसी शुभ घड़ी का बेसब्री से इंतजार था
सभी आपस में इस रहस्य के बारे में कानाफूसी कर रहे थे
उत्सुक नजरों से काली घटाओं को देखते टुकुर टुकुर
शायद आज बादलों ने पानी के बदले
रम, व्हिस्की और वोदका की बारिश
करने का ऐलान किया था प्यासों के लिए।