पराकाष्ठा प्रेम की ❤
पराकाष्ठा प्रेम की ❤
.मिले ज़ब एक दूसरे के नयन से नयन ;
हृदय का मेल भी तब शुरू हुआ सजन !
स्नेह का बंधन बना हृदय का गठबंधन ;
चांद-तारों सा जगमग हुआ ये मुदित मन!
मीठी-मीठी स्वर लहरियां कानों में गूंजें ;
पावनपरिणय के मंगलगीत जब ज़ब बजे !
विवाहोप्रांत दुल्हन पावनी पुनीता सी लगे ;
दो आत्माओं के मिलन के साज से हैं सजे !
हाथों में अपने सहचर का हाथ सदा मिले ;
नवदंपत्ति के ह्रदय पुष्प प्रस्फुटित हो खिले!
जीवनपथ हो उजियारा साथी भी साथ चले;
हर जन्म में ऐसा ही दोनों का सौभाग्य मिले!