सैनिक
सैनिक
आजादी की मशाल लिए हुए।
दिलों में जलता स्वतंत्रता के दीये।।
मातृभूमि की रक्षा करने निकले कफ़न बांध के
जाकर उन मांओं से पूछो जिनके लाल शहीद हुए।।
महज शादी के कुछ दिन ही हुए पूरे
शहीद हो जाने की आई खबरें ।।
कितने जद्दोजहद से मां ने उसे पाला।
कितने रातें बिना खाए मां ने उसे खिलाया ।।
आज उसकी कमी से दहल उठा मन
आज मां की ममता से चीत्कार उठा मन ।।
आंगन में उसके आने से
किलकारियां गूंजा करती थी।
आज मां मौन, शांत और
सुनसान रहे देखती थी ।।
उस सुहागन की टूटी चूड़ी
यह बयां करती
क्यों छोड़ चले गए तुम
शेष जीवन कैसे करूं व्यतीत ।।
अब तो तुम्हारी शेष यादें ही बची
कैसे कटेगी उम्र सारी
मुन्नी जब हो जाएगी बड़ी ।।
क्या बताऊंगी उसे
पूछेगी कोई सवाल
ना दे पाऊंगी कोई जवाब
मां को रोती देख मुन्नी भी आ गई पास
उसे तो यह भी कुछ ना है एहसास
क्यों की पड़ी है यहां लहास
कभी पिता को कभी मां को देखकर
उसका भी हृदय हो गया कल्पित
अपनी मां के गले लिपट कर
जैसे कह रही हो
मत हो मां उदास
सदा रहूंगी मैं तुम्हारे पास ....
