प्यारा बचपन
प्यारा बचपन
आओ फिर से हम बचपन में जाते हैं
गुजरे लम्हे फिर से सजाते हैं
बचपन की बात ही कुछ निराली थी
जो खो गई है अब बेफिक्र उसे ढूंढ लाते हैं
बिना समझ के भी हम कितने सच्चे थे
क्या वो दिन थे , हम जब बच्चे थे
प्रिय बचपन।
इतने दिनों बाद आज तुम्हारी याद बहुत आ रही है।
क्या वह समय था
जब हम बगीचों में झूलों पर झूला करते थे।
अपने यार दोस्तों के साथ।
धूल से खेलना, मिट्टी को अपने मुंह पर लगाना,
मां की प्यार भरी डांट फटकार
और मां का प्यार भरा स्पर्श,।
शोर और हल्ला मचाते ,।
घर के सामानों को तोड़ते,
क्या वह बचपन थे।
अब तो तुम्हारी यादें ही शेष बची है।
अब जाने कितनी उम्र गुजर गई है।
कुछ और समय बचा है।
जब तुम्हारी उम्र का हो जाऊंगा।
पहले मम्मी और पापा का दुलार।
अब बेटे और बेटी का प्यार पाऊंगा।
