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कौशलेंद्र सिंह लोधी 'कौशल' Kaushlendra Singh Lodhi 'Kaushal'

Inspirational Children

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कौशलेंद्र सिंह लोधी 'कौशल' Kaushlendra Singh Lodhi 'Kaushal'

Inspirational Children

हिन्दी वर्णमाला कविता

हिन्दी वर्णमाला कविता

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अ अरे आदमी तुझे क्या हुआ

आ आज भला क्यों है चकराया

इ इतना पागलपन क्यों छाया।

ई ईटों के आवास बनाया।।


उ उर में क्यों तू बस न पाया।।

ऊ ऊधम तौबा हाय मचाया।।

ऋ ऋण ले लेकर फिर झुठलाया।।

ए एक बार क्या सोचा तूने।


ऐ ऐनक साफ किया क्या तूने।

ओ ओछापन क्या छोड़ा तूने।

औ और स्वयं को समझा तूने।।

अं अंत साथ क्या ले जाओगे।

अ: अ: ह: ह: क्या हँस पाओगे।।


क कर्म छोड़कर काम मे खोया।

ख खरी-खरी बातें सुन रोया।।

ग गम से फुर्सत कब पाओगे।

घ घमंड में ही मर जाओगे।।

ङ ङ से क्या शुरू करोगे।।


च चल कर कुछ आगे भी देखो।

छ छल बल छोड़ सत्य भी लेखो।।

ज जलन ईर्ष्या ठीक नहीं है

झ झगड़ा से मुख मोड़ विशेखो।।

ञ ञ शब्द के बीच विलेखो।।


ट टर्र-टर्र क्यों बात-बात पर।

ठ ठग बाजी करते क्यों दिन भर।

ड डर-डर क्यों जीते हो मर-मर।

ढ ढकोसलों का छोड़ दे चक्कर।।

ण ण वर्ण का उच्चारण कर।।


त तम से बाहर आओ निकलो।

थ थक जाओ तो थोड़ा रुक लो।।

द दर्द दीन का अनुभव कर लो।

ध धर्म प्रेम का जरा समझ लो।

न नकली-असली फर्क जान लो।।


प पद का दुरुपयोग मत करना।

फ फर्ज सदा तुम पूरा करना।

ब बल बुद्धि का अहं न करना।।

भ भलीभांति तुम करो भलाई।

म मत करना तुम कभी बुराई।।


य यथा शक्ति दान कर जाओ।

र रक्तदान सेवा कर पाओ।।

ल लक्ष्य मार्ग से नहीं भटकना।

व वचन दिया तो नहीं बदलना।।


श शक बीमारी मन मत रखना।

ष षडयंत्रों में कभी न फँसना।।

स सदा सत्य का साथ निभाना।

ह हर हालत धीरज रख पाना।।


क्ष क्षमा शीलता हिय रख ‘कौशल’

त्र त्रस्त जीव को साहस देना।

ज्ञ ज्ञप्ति ज्ञान हासिल कर लेना।।

अ आ इ ई स्वर हिन्दी के,


क ख ग व्यंजन पहचानो।

अ से ज्ञ तक पढ़ना लिखना,

कितना सुंदर अद्भूत जानो।।

अतिशयोक्ति इसमे न कोई,

हिन्दी भाषाओं की रानी

'गर हम पढ़ लिख बोलें हिन्दी,

बने विश्व की भाषा मानो।।


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