कहने को कुछ ना हो
कहने को कुछ ना हो
जब कहने को कुछ ना हो
तो बेहतर है चुप ही रहने दो
इतना तो जान ही जाओगे
हमें पहचान ही जाओगे
शर्मिंदगी फिर किस बात पर हो
जब कहने को कुछ ना हो
तो बेहतर है चुप ही रहने दो ....
आलसी हूं मैं मानता हूं
खुदगर्ज हूं यह भी जानता हूं
कभी पास आकर देखना
अगर हमसे नजर मिलाना हो
जब कहने को कुछ ना हो
तो बेहतर है चुप ही रहने दो ...
इजाजत नहीं मुझे किसी की
परवाह भी नहीं मुझे किसी की
अकेले ही कष्ट सहने दो
जब कहने को कुछ ना हो
तो बेहतर है चुप ही रहने दो ...
टूट जाने दो सारे सपनों को
बिखर जाने दो सारे अरमानों को
अकेला हूं अकेले रहने दो
जब कहने को कुछ ना हो
तो बेहतर है चुप ही रहने दो ...
