मां- बेटी
मां- बेटी
मासूमियत,
सबसे अधिक अनमोल,
है जज्बातों का आईना,
न चुका सकूं इसका मोल।
चेहरा तो बस धोका है,
इसके लोभ ने किसको रोका है,
सच्चाई तो तुम्हारे चरित्र में है,
हजारों रंग चेहरे के चित्र में है।
इसे कभी गुम न होने दो।
किसी की तलाश में,
कभी न खोने दो।
ये दर्पण है मन का,
इसे चमकने दो।
प्रेम की चिड़िया को,
चहकने दो।
जी लेने दो अपने आंखों में मूंदे सपनों को,
एक रोज ज़रा पंख लगा के उड़ जाने दो,
भौतिकता के नकाब से,
न मासूमियत छुपाने दो।
तुम्हारी आंखों की चमक,
मेरे दिल में उजाला करती है,
तुम्हारी एक हंसी,
मन में उमंग भरती है,
इस सीरत से गुलिस्तां जरा महक जाने दो,
इस प्यारी मुस्कान को
होंठों पर सज जाने दो।
तुम्हें जरूरत ही क्या,
साजो - श्रृंगार की,
तुम तो इठलाती कली इस मौसम के बहार की।
तुम सुंदर तन और मन से,
तुम्हें देख खुश होती परियां,
परिस्तान की।
तुम्हारे घुंघराले बालों से छांव मिले प्यार की,
तुम्हारे होने से नदियां बहे दुलार की,
तुम्हारी प्यारी हंसी भूला दे मेरे सारे गम,
तुम्हारे होने से कमी नहीं किसी यार की।
तुम्हें प्यार करने से,
वात्सल्य का सुख मिला,
तुम्हारे होने से मेरी ममता को चित्र मिला,
तुम्हें हृदय से लगा लेने से मेरे दुःख छंट जाते हैं,
तुम्हें पाकर इस सान्निध्य को आधार मिला।
एक बेटी की माँ होने का गर्व है मुझको,
तुम्हारे साथ हर दिन लगे पर्व सा मुझको,
तुम्हारे साथ खेलूं हर रोज मुस्कुराती होली,
कोई न समझे, मगर ये मां समझे तेरी तोतली बोली।
तेरे बिन कहे तेरी बात समझ जाऊं,
बोल ना, क्या इसे ही प्यार कहलाऊं।
तुम्हें जीवन के हर रूप से वाकिफ कराऊंगी,
हर परेशानी में तुम्हारा ढाढस बंधाऊंगी,
जब तक मेरी सांसे होंगी, मेरा वादा है तुमसे,
तुम्हें हर मुसीबत के जाल से बचाऊंगी।
मैं मां होने का, और
तुम्हारी पहली प्यारी सहेली होने का फर्ज निभाऊंगी।