सैनिक
सैनिक
कहीं दूर मीलों पीछे,
हम सारे रिश्ते छोड़ आए,
हम वतन के परवाने सैनिक,
महबूब वतन से दिल लगाए।
कभी धरती मां के आंचल में लिपट,
सारा दिन गुज़ारे,
और कभी शाम ही न ढली हमारी,
जग - जग रातें बिताए।
कभी हफ्तों आंख से आंख न मिली,
कभी सीने में गोली खाई।
सदा नोच ली आंखें वो ,जो
भारत मां पे उठाई।
कभी वतन की हिफाजत में,
हंस हंस के जान लुटाई,
ईद, दीवाली, होली,
सब सरहद पे कभी मनाई।
कभी नसीब न हुई झलक आखरी,
जब मातम मना घर आंगन में,
कभी सेहरा बांधने से ही पहले,
जली चिता श्मशानों में।
मुझे फक्र है मेरे वतन पर मां,
जो तेरी गोद में जन्म लिया,
तेरी मिट्टी में शहादत पाकर,
कफन तिरंगा इनाम लिया।
मेरी चिता की राख भी तुझमें मिलाकर,
सोना फसल उगाएगी,
दिल से निष्कासित हर ध्वनि,
भारत मां की जय जय गायेगी।