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धर्मेन्द्र अरोड़ा "मुसाफ़िर"

Drama

1.3  

धर्मेन्द्र अरोड़ा "मुसाफ़िर"

Drama

सावन पर दोहे

सावन पर दोहे

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मोहक सावन कर रहा, बरखा की बौछार !

भूलो सारी नफरतें, दिल में भर लो प्यार !!


सावन का मौसम सदा, होता बड़ा हसीन !

लगती है इस मास में, कुदरत भी रंगीन !!


सावन में आते यहां, कितने ही त्योहार !

झूमें सब नर नारियां, सजता है संसार !!


भाईचारा सब रखो, सावन दे संदेश !

कितना फिर सुंदर लगे, मेरा भारत देश !!


मिलजुल कर सारे रहो, मत करना तकरार !

सावन में होती सदा, खुशियों की भरमार !!


जीवन जो हमको मिला, ईश्वर की सौगात !

आया सावन मास है, लिए मधुर हर बात !!


मनवा जाए डोलता, नाचे हर इंसान !

सावन में कांवर करे, भोले का गुणगान !!





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