हर दौर में.....
हर दौर में.....
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हर दौर में हम जैसे दिवाने नहीं आते!
नादान हवाओं के फ़साने नहीं आते!!
इक बार चटक जाते हैं अनमोल जो रिश्ते!
फिर हाथ सुहाने वो खजाने नहीं आते!!
अफ़सोस इसी बात का रहता है हमेशा!
हमको तो दग़ाबाज़ बहाने नहीं आते!!
बैठे हैं इसी आस मिले सुख भरी छांव!
लेकिन वो रिवायत भी निभाने नहीं आते!!
बिन बात बरसते हैं निगाहों से मुसलसल!
हर बार हमें अश्क छुपाने नहीं आते!!
हम पास उन्हें अपने फ़टकने नहीं देते!
आंधी में जिन्हें दीप जलाने नहीं आते!!
किस सोच में डूबे हो शबो रोज़ मुसाफ़िर!
खुशियों को कभी रास तराने नहीं आते!!