कभी खु़दा से
कभी खु़दा से
1 min
355
ज़हन में अगरचे सदाकत न होगी
कभी ख़ुदा से फ़िर मुहब्बत न होगी
भले लाख़ कोशिश करे ये ज़माना
मगर पाक फ़िर से सियासत न होगी
शहीदों से रोशन हमारा वतन है
शहादत सरीख़ी इबादत न होगी
अगर ज़िंदगी में रहेगी सदाकत
वफ़ा की डगर पे तिजारत न होगी
मुसाफ़िर का दावा बड़ा ही सुहाना
हमें अब किसी से शिकायत न होगी।