आखिरी हक़ीक़त
आखिरी हक़ीक़त
पाक़ लहज़े में की क़िफायत है
आपसे बस यही शिक़ायत है!
जिंदगी के हसीन मौसम की
मौत ही आखिरी हक़ीक़त हैं!
दौर कैसा चला ज़माने में
आज मिलती कहां सदाक़त हैं!
नेकियां जो यहां सदा करते
पास आती नहीं नदामत हैं!
मुश्किलों का मुक़ाबला करना
दे मुसाफिर यही हिदायत है!