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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Inspirational

“ साथ हमारी कविता है “

“ साथ हमारी कविता है “

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ऐसा भी होता है जब किसी क्षण हम निःशब्द हो जाते हैं !

घोर अंधेरों में हम भटकते रह जाते हैं !!

दिशाएँ दिखती नहीं मंजिलों के रास्ते धुंधले पड़ जाते हैं !

दूर – दूर तक कोई दिखता नहीं,

किसी की उँगलियाँ थाम के चल देता, और खोजता प्रकाश को !

पर कोई नहीं है साथ मेरा, कल्पनाएं भी तो शिथिल पड़ गयीं,

हम अकेले तनहाइयों में नक्षत्रों के सितारे गिन रहे थे !

धीरे – धीरे चुपके -चुपके अँधेरी रातों में मेरी पीठ को किसी ने सहलाया !

मेरे कानों में धीरे -धीरे चुपके चुपके गुनगुनाया !

कहा –“ तुम्हारी कविता हूँ, मैं तुम्हारी संगिनी हूँ ! 

भला तुमको कैसे छोड़ूँगी ? तुमने हमको रूप दिया, शृंगारों से हमको सजा दिया !

अलंकारों से तुमने अलंकृत कर डाला,

संगीत के धुन से हमको सजा दिया, तुमने हमको परिपूर्ण किया!

अब तुमको मैं ना छोड़ूँगी, हर क्षण मैं साथ निभाऊँगी !!”

हम खुश होकर यूं झूम उठे, वीरानों में मेरी कविता ही मेरे साथ रही,

हमें अब क्या गम इन तिमिर से अब डरना क्या इन रातों से ?

अब साथ हमारी कविता है, हमें अब दुनिया से क्या लेना ??


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