मन के हैं रुप अनेक, भावनाएं बेहिसाब हैं असीम प्रकृति को जी पायें ऐसी मन में कल्पनाएं मन के हैं रुप अनेक, भावनाएं बेहिसाब हैं असीम प्रकृति को जी पायें ऐसी मन म...
उसे अपने पंख फैलाने दो ना रोको उसको आने दो। उसे अपने पंख फैलाने दो ना रोको उसको आने दो।
धीरे – धीरे चुपके -चुपके अँधेरी रातों में मेरी पीठ को किसी ने सहलाया ! धीरे – धीरे चुपके -चुपके अँधेरी रातों में मेरी पीठ को किसी ने सहलाया !