साथ चले थे
साथ चले थे
वो बेवफा कभी ना थी,
पर वफा भी ना कर सकी,
सपने जो देखे थे साथ हमने,
उस पर वो अमल न कर सकी।
कोई शिकवा न शिकायत है,
ये तो अपनी अपनी रवायत है,
कुछ कदम हम साथ चले थे उसके,
कुछ कदम पर वह साथ छोड़ गई।
इसमें उसकी कोई फितरत न थी,
उसे तो इस बात का इल्म ही न था,
वह खुद के लिए थी पीछे हटी,
या मुझको बचाने के लिए हटी।